Bhagavat Gita Quotes by Lord Krishna on Life Lessons & Success
The Bhagavad Gita, literally “Songs of the Blessed Lord,” often referred to as simply the Gita, is a Hindu scripture rendered in Sanskrit. The Hindu scripture consisting of Lord Krishna’s 700 verses, is the most revered work in the Indian literature. The scripture is a dialogue between Pandava prince Arjuna and divine deity Krishna during the Kurukshetra war in the ancient Sanskrit epic-Mahabharata.
The Bhagavad Gita stresses the importance of doing one’s duty and of faith in God. Like the great scriptures of the other religions, the Gita discusses various beliefs, values, and disciplines central to the conduct of a good and meaningful life: devotion, attachment, conflict of motives, ethical actions and consequences, sense of duty, and misgivings from right actions.
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BHAGAVAT GITA QUOTES
1.
हे अर्जुन !, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता. - श्रीमद्भगवद्गीता
I know, O Arjuna, the beings of the past, of the present, and those of the future, but no one really knows Me. - Srimadbhagwadgita
2.
मैं ऊष्मा देता हूँ, मैं वर्षा करता हूँ और रोकता भी हूँ, मैं अमरत्व भी हूँ और मृत्यु भी. - श्रीमद्भगवद्गीता
I give heat, I send as well as withhold the rain, I am immortality as well as death. - Srimadbhagwadgita
3.
जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं. - श्रीमद्भगवद्गीता
They all attain perfection When they find joy in their work. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes in Hindi
4.
बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए. - श्रीमद्भगवद्गीता
The wise should work without attachment, for the welfare of the society. - Srimadbhagwadgita
5.
कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं. - श्रीमद्भगवद्गीता
Works do not bind Me, because I have no desire for the fruits of work. - Srimadbhagwadgita
6.
स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The unsuccessful yogi is reborn, after attaining heaven and living there for many years, in the house of the pure and prosperous. - Srimadbhagwadgita
7.
भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी. - श्रीमद्भगवद्गीता
God is in everything as well as above everything. - Srimadbhagwadgita
8.
ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए. - श्रीमद्भगवद्गीता
The wise should not unsettle the mind of the ignorant who is attached to the fruits of work. - Srimadbhagwadgita
9.
हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं. मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं. - श्रीमद्भगवद्गीता
Both you and I have taken many births. I remember them all, O Arjuna, but you do not remember. - Srimadbhagwadgita
10.
निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Creation is only the projection into form of that which already exists. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes on Love
11.
जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
Whosoever desires to worship whatever deity with faith, I make their faith steady in that very deity. - Srimadbhagwadgita
12.
लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे. सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है. - श्रीमद्भगवद्गीता
People will talk about your disgrace forever. To the honored, dishonor is worse than death. - Srimadbhagwadgita
13.
प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता. - श्रीमद्भगवद्गीता
A Self-realized person does not depend on anybody except God for anything. - Srimadbhagwadgita
14.
कर्म उसे नहीं बांधता जिसने काम का त्याग कर दिया है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Karma does not bind one who has renounced work. - Srimadbhagwadgita
15.
नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच. - श्रीमद्भगवद्गीता
Hell has three gates: lust, anger, and greed. - Srimadbhagwadgita
16.
वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है. इसमें कोई शंशय नहीं है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The One who leaves the body, at the hour of death, remembering Me attains My abode. There is no doubt about this. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes on Pain
17.
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो. - श्रीमद्भगवद्गीता
Sever the ignorant doubt in your heart with the sword of self-knowledge. Observe your discipline. Arise. - Srimadbhagwadgita
18.
कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये. - श्रीमद्भगवद्गीता
There was never a time when I, you, or these kings did not exist; nor shall we ever cease to exist in the future. - Srimadbhagwadgita
19.
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो. - श्रीमद्भगवद्गीता
Death is as sure for that which is born, as birth is for that which is dead. Therefore grieve not for what is inevitable. - Srimadbhagwadgita
20.
केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The mind alone is one’s friend as well as one’s enemy. - Srimadbhagwadgita
21.
जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The one who sees inaction in action, and action in inaction, is a wise person. - Srimadbhagwadgita
22.
वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The one who truly understands My transcendental birth and activities, is not born again after leaving this body and attains My abode. - Srimadbhagwadgita
23.
क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Delusion arises from anger. The mind is bewildered by delusion. Reasoning is destroyed when the mind is bewildered. One falls down when reasoning is destroyed. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes on Positive Thinking
24.
मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय.किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं , वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
There is no one hateful or dear to Me. But, those who worship Me with devotion, they are with Me and I am also with them. - Srimadbhagwadgita
25.
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The power of God is with you at all times; through the activities of mind, senses, breathing, and emotions; and is constantly doing all the work using you as a mere instrument. - Srimadbhagwadgita
26.
मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक. लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
I look upon all creatures equally; none are less dear to me and none more dear. But those who worship me with love live in me, and I come to life in them. - Srimadbhagwadgita
You can also see:
मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
I am seated in the hearts of all beings. - Srimadbhagwadgita
28.
किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े. - श्रीमद्भगवद्गीता
Much better to do one’s own work even if you have to do it imperfectly than it is to do somebody elses work perfectly. - Srimadbhagwadgita
29.
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The mind acts like an enemy for those who do not control it. - Srimadbhagwadgita
30.
अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
To those ever steadfast devotees, who always remember or worship Me with single-minded contemplation, I personally take responsibility for their welfare. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes on Karma
31.
अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Perform your obligatory duty, because action is indeed better than inaction. - Srimadbhagwadgita
32.
उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता. - श्रीमद्भगवद्गीता
Fear not what is not real, never was and never will be. What is real, always was and cannot be destroyed. - Srimadbhagwadgita
33.
बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते. - श्रीमद्भगवद्गीता
The evil doers, the ignorant, the lowest persons who are attached to demonic nature, and whose intellect has been taken away by Maya do not worship or seek Me. - Srimadbhagwadgita
34.
प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं. - श्रीमद्भगवद्गीता
To the illumined man or woman, a clod of dirt, a stone, and gold are the same. - Srimadbhagwadgita
35.
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The mind is restless and difficult to restrain, but it is subdued by practice. - Srimadbhagwadgita
36.
कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Karma-yoga is a supreme secret indeed. - Srimadbhagwadgita
37.
सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. शोक मत करो. - श्रीमद्भगवद्गीता
Setting aside all noble deeds, just surrender completely to the will of God. I shall liberate you from all sins. Do not grieve. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes on Happiness
38.
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Man is made by his belief. As he believes, so he is. - Srimadbhagwadgita
39.
वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं. - श्रीमद्भगवद्गीता
Those who have no faith in this knowledge follow the cycle of birth and death without attaining Me. - Srimadbhagwadgita
40.
मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ. मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
I am the sweet fragrance in the earth. I am the heat in the fire, the life in all living beings, and the austerity in the ascetics. - Srimadbhagwadgita
41.
इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
There is nothing lost or wasted in this life. - Srimadbhagwadgita
42.
जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन करें. - श्रीमद्भगवद्गीता
Those who long for success in their work here [on the earth] worship the demigods. - Srimadbhagwadgita
43.
मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
One attains the eternal imperishable abode by My grace, even while doing all duties, just by taking refuge in Me. - Srimadbhagwadgita
44.
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे. - श्रीमद्भगवद्गीता
One can become whatever one wants to be if one constantly contemplates on the object of desire with faith. - Srimadbhagwadgita
45.
ऐसा कुछ भी नहीं , चेतन या अचेतन , जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो. - श्रीमद्भगवद्गीता
There is nothing, animate or inanimate, that can exist without Me. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes Whatever Happens
46.
हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
The faith of each is in accordance with one’s own nature. - Srimadbhagwadgita
47.
यद्द्यापी मैं इस तंत्र का रचयिता हूँ, लेकिन सभी को यह ज्ञात होना चाहिए कि मैं कुछ नहीं करता और मैं अनंत हूँ. - श्रीमद्भगवद्गीता
Though I am the author of this system, one should know that I do nothing and I am eternal. - Srimadbhagwadgita
48.
बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता. - श्रीमद्भगवद्गीता
The wise do not rejoice in sensual pleasures. - Srimadbhagwadgita
49.
मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं. - श्रीमद्भगवद्गीता
I give the knowledge, to those who are ever united with Me and lovingly adore Me. - Srimadbhagwadgita
50.
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं ” और “मेरा ” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है. - श्रीमद्भगवद्गीता
One who abandons all desires and becomes free from longing and the feeling of ‘I’ and ‘my’ attains peace. - Srimadbhagwadgita
51.
हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के द्वार के सामान है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Only the fortunate warriors, O Arjuna, get such an opportunity for an unsought war that is like an open door to heaven. - Srimadbhagwadgita
52.
अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Unnatural work produces too much stress. - Srimadbhagwadgita
53.
जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं , उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म . जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति. - श्रीमद्भगवद्गीता
For those who wish to climb the mountain of spiritual awareness, the path is selfless work. For those who have attained the summit of union with the Lord, the path is stillness and peace. - Srimadbhagwadgita
Bhagavat Gita Quotes in Hindi
54.
आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ न मध्य न अंत दिखाई दे रहा है. - श्रीमद्भगवद्गीता
Neither do I see the beginning nor the middle nor the end of Your Universal Form. - Srimadbhagwadgita
55.
तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं, और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो.बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं. - श्रीमद्भगवद्गीता
You grieve for those who are not worthy of grief, and yet speak the words of wisdom. The wise grieve neither for the living nor for the dead. - Srimadbhagwadgita
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